कर्मकांड, उपासना, ज्ञान और विज्ञान को एकीकृत करने का अब समय है ।
*मैं हूँ सुंदरसाथ*
मार्च: दूसरा सप्ताह
इस सप्ताह की चौपाई **श्री प्राणनाथ तारतम वाणी श्री कुलजम स्वरूप के ग्रंथ खुलासा 13/65** से ली गई है, जो हमें प्रेम को अंतिम साधन और साथ ही अंतिम साध्य परमात्मा के रूप में स्वीकारने और अपनाने की प्रेरणा देती है। यह चौपाई हमें जीवन के सभी पहलुओं को उचित क्रम में व्यवस्थित कर एकता में समाहित करने की भी प्रेरणा देती है।
*रसम कर्मकांड की,
हुती एते दिन।
सो इलम बुद्धजीय के,
दई सबों प्रेम लक्षण ||*
जब से सृष्टि पर मानव जाति का विकास शुरू हुआ है, तब से धार्मिक समुदाय मुख्यतः कर्मकांड, जप, तपस्या, यज्ञ आदि करने में लगे हुए हैं और प्राचीन शास्त्रों में वर्णित उपासना विधियों को अपनाते आए हैं।
लेकिन जैसे-जैसे मानव जाति का विकास हो रहा है, इन रीतियों और विधियों में भी परिवर्तन होता रहा है और होना चाहिए भी, ताकि वे परंपरागत मूल हार्द को क़ायम रखते हुए वर्तमान समय की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य बिठा सकें।
इसलिए, बुद्ध निष्कलंक स्वरूप का कहना है कि यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अपने आध्यात्मिक ज्ञान को अद्यतन रखें और उस आध्यात्मिक विज...