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Showing posts from March, 2020

Auspicious Affirmations by Shri Prannath Ji

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Words of Wisdom

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सदाआनंदमंगल में रहिए । सप्रेमप्रणाम जी लॉर्ड प्राण नाथ डिवाइन सेंटर मेकन, जोरजिया, USA श्री प्राणनाथ वैश्विक चेतना अभियान   

जीव कर्ता कि भोक्ता?नित्य कि अनित्य?

जीव कर्ता कि भोक्ता?नित्य कि अनित्य? वाणी कहती है - जिन जानों शास्त्रोंमें नहीं, है शास्त्रोंमें सब कुछ ! सब श्यानों की एकमत पायी, पर अजान देखे रे जुदाई । यह हमारी (आत्म और संगी जीव चेतना की) जाग्रति की अवस्था पर निर्भर है कि हम वाणी और शास्त्रों को एक माला में पिरो सकते हैं या नहीं । निहसंदेह वाणी को शास्त्रों की हर बातों से विपरीत मान लेना हमारी भूल है। हम यह बहुत बड़ी कुसेवा करते है, जब हम पूज्य सरकार श्री या अन्य ज्ञानिजनों के शब्दों को जाहिरी रूप में जड़ता से पकड़ रख कर उनकी ढाल बना कर, उनके नामों का प्रयोग कर के अपने अहम को शराब पिलाते हुए वार्ता या बहश करते रहते हैं । और स्वयं अनुभूति की गहराई में जाने से डरते रहते हैं। सुंदरसाथ जब तक वाणी को integrated wisdom अर्थात् और सभी ज्ञान को एक तारतम्य शृंखला में रखने वाली महा सक्षम नहीं समझ पाएँगे, तब तक उसका वास्तविक रस अपने भीतर प्रगट नहीं कर पाएँगे । मेरा प्राणनाथ छटनी (परित्रानाय साधुनाम, विनाशयचदुश्कृतम) वाला नहीं, बल्कि सब को अपने प्रेम में लपेट लेने वाला है - वह साम्प्रदायिक नहीं है । वाणी क्षीर नीर का निवेरा तो करती है, लेकिन उ...

प्रश्न: & उत्तर: ~ सदाआनंदमंगल में रहिए ।

प्रश्न: बाहेर देखावे बंदगी, माँहें करें कुकर्म काम । महामारी पूछे ब्रह्मसृष्टि को, ए वैकुंठ जासी के धाम।।???? उत्तर: जो अंदर बाहर एक नहीं, वह कहीं नहीं जा सकता! उसे कोई भी सुख नहीं मिलता । ना वैकुंठ जा सकता है, ना ही कोई नित्यमुक्ति धाम या परम धाम ! सदाआनंदमंगल में रहिए । सप्रेमप्रणाम जी लॉर्ड प्राण नाथ डिवाइन सेंटर मेकन, जोरजिया, USA श्री प्राणनाथ वैश्विक चेतना अभियान   

ध्यान से पढ़ें, सोचें और समझें

प्यारे सुंदरसाथजी! ध्यान से पढ़ें, सोचें और समझें करोना महामारी के बीच बहुत सारी विविध भविष्य वाणियों की बातें विश्वभर में शेर हो रही है । सुंदरसाथ समाज में भी यह फैल रही है । जो विचारणीय है । सर्व प्रथम तो ऐसी बातें किसी भी धर्मग्रंथ या व्यक्तिविशेष द्वारा की गयी हो, हमारी आत्म जागनी में और उपस्थित महामारी के बीच इसकी कोई क़ीमत मुझे नज़र नहीं आती। हमारे लिए क़ीमत की बात यह है कि हम धनी के इल्म से अपनी बुद्धि को जाग्रत रखें, तन मन धन शक्ति को विवेक पूर्वक जब और जहां भी सम्भव हों, प्रेम सेवा में चैनलायज़ करें । और किसी भी भविष्यवाणियोंके चक्करसे मुक्त रहें ! ऐसी बातें बहुत सारे लोग लम्बे समय से करते आ ही रहे है । और जब भी ऐसी घटना होती है, हर सम्प्रदाय और तीर्थ स्थान वाला अपनी अपनी महिमा बढ़ाने ऐसी बातें मीडियामें प्रवाहित करता ही आया है । लेकिन क्या तारतम वाणी में तन, मन, जीव, आत्म स्तर की सेफ़्टी के लिए कम चेतावनियाँ दी गयी है? क्या हम आयी महामारी से भी गम्भीर चेतावनियों से कभी प्रभावित हुए है? वैज्ञानिकोंने भी समय समय पर ऐसी चेतावनियाँ पक्के प्रूफ़ के साथ दी तो है । पर स्वार्थ और अहम...

समस्त विश्व को बुध्धजी शाका ३४२ प्रारम्भ की बधाई हो |

समस्त विश्व को बुध्धजी शाका ३४२ प्रारम्भ की बधाई हो | आतम सम्बन्धी सुन्दरसाथ जी!  आज का दिन हम सब के लिए शुभ इसलिए हैं क्यों कि इस जागनी ब्रह्माण्ड में तारतम ब्रह्मज्ञान का बृहद प्रसार जन समाज में शुरू हुआ | हमें अपार आनंद है, कि छत्रसाल वेब सीरीज भी इस वर्ष संसार को भेंट होगी |  विश्व प्राणनाथ जी को और श्री कुलजम स्वरुप निहित तारतम ज्ञान को छत्रसाल के माध्यम से जानेगा |             आज के दिन कुछ महत्वपूर्ण विचार रखना चाहता हूँ | सोचना यह है, कि कौनसी बड़ी बात घटित हुयी थी संवत १७३५ में? और आज उस घटना की प्रासंगिकता क्या है? हम कहते हैं प्राणनाथ जी का आध्यात्मिक वार्तालाप सभी उपस्थित धर्म सम्प्रदायों के ग्यानी जनों  से हुआ था, जिस में सभीने उनको विजयाभिनन्द बुध्ध निष्-कलंक अवतार के रूप में घोषित किया |  श्री जी की ऐसी कौनसी विशिष्ट बातों से वे प्रभावित हुए होंगें ? तो हम समझते - समझाते आ रहे हैं, रटते - रटाते आ रहे हैं, जो ३४२ साल पहेले जिस ढंग से समझाया गया था, या लिखा गया था - सम्प्रदाय पध्धति, भई नयी रे नव खण्डों आरती एवं हरिद्वार की बीतक आदि के माध्यम से |  हर शाम की आरती के बाद स्व...

आज कल हर कोई कोरोना वाईरस की महामारी से चिंतित है |

आज कल हर कोई कोरोना वाईरस की महामारी से चिंतित है | दूसरी और, युगों युगों से धर्म ग्रन्थ पुकार रहे हैं कि मानव जात के लिए अपने 'निज-आनंद' पर कुल्हाड़ी मारने से बड़ी कोई महामारी नहीं हो सकती! लेकिन पता नहीं क्यों, इस आध्यात्मिक महामारी की चेतावनी को मनुष्य अनसुना कर लेता है !  पता नहीं क्यों मीडिया - सोसिअल मीडिया इस चेतावनी को असरकारक रूप से वायरल नहीं कर पाता!   महामति भी पुकार पुकार कर कह रहे हैं कि ब्रह्म ज्ञान से उत्पन्न "दिव्य प्रेम की वैक्सीन" से मनुष्य के स्वार्थ-अहंकार की महामारी निश्चित मिटेगी | फिर भी कोई नहीं सुन रहा | सुनते भी है, तो अमल नहीं हो पाता | हम जितनी चिंता और उपाय कोरोना की महामारी की करते हैं (और करना भी चाहिए!), कमसे कम उतना प्रयास भी यदि अपने निज-आनंद के लिए कर लें, अपने आप को जल्द से जल्द माया से क्वारंटाइन (अलग) कर लें, तो नित्य निजानंद महा-जीवन उपलब्ध होना निश्चित है | मायारूपी कोरोना वायरस का इन्फेक्शन दिव्य प्रेम की वैक्सीन से रूक जाना निश्चित है |क्या पता,  शायद कोरोना वायरस जैसी इस महामारी का घटित होना हमारी आत्म-जागनी के लिए भी हों!   ब...

Today’s Wani Manthan जीव चंडाल कठन एवो कोरडू, कां रे करो छो हत्यारो | वृथा जनम करो कां साधो, आवो रे आकार कां मारो || लाख चोरासी हत्या बेससे, एवो आ जनम तमारो | बीजी हत्यानों पार नथी, जो ते तमें नहीं संभारो ||

Today's Wani Manthan जीव चंडाल कठन एवो कोरडू, कां रे करो छो हत्यारो | वृथा जनम करो कां साधो, आवो रे आकार कां मारो || लाख चोरासी हत्या बेससे, एवो आ जनम तमारो | बीजी हत्यानों पार नथी, जो ते तमें नहीं संभारो ||             Mahamati alarms, " Listen O the proponents of non-violence! This human life has been gifted with Supreme Wisdom needed to attain freedom from the unending cycle of birth and rebirth. Your Jiva has become rigid, stony and oppressive by undergoing countless life experiences. Why are you up to murdering the present golden opportunity?  Why do you burden yourself and others with confusions of sectarian rituals? O seekers of Truth! Why do you waste your invaluable life ? You shall be definitely held accountable for 8.4 million murders, if you fail to choose the path of divine love for the Supreme!  And Oh! Don't forget to add countless more murders that you may commit during each life you will live! Awake to the Ultimate Reality and start living life of divine l...