आज कल हर कोई कोरोना वाईरस की महामारी से चिंतित है |
आज कल हर कोई कोरोना वाईरस की महामारी से चिंतित है |
दूसरी और, युगों युगों से धर्म ग्रन्थ पुकार रहे हैं कि मानव जात के लिए अपने 'निज-आनंद' पर कुल्हाड़ी मारने से बड़ी कोई महामारी नहीं हो सकती!
लेकिन पता नहीं क्यों, इस आध्यात्मिक महामारी की चेतावनी को मनुष्य अनसुना कर लेता है ! पता नहीं क्यों मीडिया - सोसिअल मीडिया इस चेतावनी को असरकारक रूप से वायरल नहीं कर पाता!
महामति भी पुकार पुकार कर कह रहे हैं कि ब्रह्म ज्ञान से उत्पन्न "दिव्य प्रेम की वैक्सीन" से मनुष्य के स्वार्थ-अहंकार की महामारी निश्चित मिटेगी | फिर भी कोई नहीं सुन रहा | सुनते भी है, तो अमल नहीं हो पाता |
हम जितनी चिंता और उपाय कोरोना की महामारी की करते हैं (और करना भी चाहिए!), कमसे कम उतना प्रयास भी यदि अपने निज-आनंद के लिए कर लें, अपने आप को जल्द से जल्द माया से क्वारंटाइन (अलग) कर लें, तो नित्य निजानंद महा-जीवन उपलब्ध होना निश्चित है |
मायारूपी कोरोना वायरस का इन्फेक्शन दिव्य प्रेम की वैक्सीन से रूक जाना निश्चित है |क्या पता, शायद कोरोना वायरस जैसी इस महामारी का घटित होना हमारी आत्म-जागनी के लिए भी हों!
बितक साहब में मिर्गी (प्लग) की महामारी का प्रसंग भी शायद हमारे इस आत्म-विश्वाश को बनाए रखने के लिए ही रखा होगा ताकि हम यह समझ पायें कि प्रेम सेवा द्वारा धाम धणी के प्रेरक जोश को प्राप्त कर लेने वाले को न कोरोना वायरस जैसी महामारी मार सकती है, न माया अहंकार रोग की महामारी मार सकती है |
शाहजहाँ पुर बुढिया में धाम धणी की सेवा में अडिग खड़े रहने वाले सुन्दर साथ नागजी भाई को प्लेग की बिमारी भी नहीं मार सकी थी |
अतः सुन्दर साथ जी अपनी विवेक बुध्धि का सदुपयोग करते हुए दोनों महामारियों से बच कर रहें यही अर्जी |
सदा आनंद मंगल में रहिये |
सप्रेम प्रणाम जी
दूसरी और, युगों युगों से धर्म ग्रन्थ पुकार रहे हैं कि मानव जात के लिए अपने 'निज-आनंद' पर कुल्हाड़ी मारने से बड़ी कोई महामारी नहीं हो सकती!
लेकिन पता नहीं क्यों, इस आध्यात्मिक महामारी की चेतावनी को मनुष्य अनसुना कर लेता है ! पता नहीं क्यों मीडिया - सोसिअल मीडिया इस चेतावनी को असरकारक रूप से वायरल नहीं कर पाता!
महामति भी पुकार पुकार कर कह रहे हैं कि ब्रह्म ज्ञान से उत्पन्न "दिव्य प्रेम की वैक्सीन" से मनुष्य के स्वार्थ-अहंकार की महामारी निश्चित मिटेगी | फिर भी कोई नहीं सुन रहा | सुनते भी है, तो अमल नहीं हो पाता |
हम जितनी चिंता और उपाय कोरोना की महामारी की करते हैं (और करना भी चाहिए!), कमसे कम उतना प्रयास भी यदि अपने निज-आनंद के लिए कर लें, अपने आप को जल्द से जल्द माया से क्वारंटाइन (अलग) कर लें, तो नित्य निजानंद महा-जीवन उपलब्ध होना निश्चित है |
मायारूपी कोरोना वायरस का इन्फेक्शन दिव्य प्रेम की वैक्सीन से रूक जाना निश्चित है |क्या पता, शायद कोरोना वायरस जैसी इस महामारी का घटित होना हमारी आत्म-जागनी के लिए भी हों!
बितक साहब में मिर्गी (प्लग) की महामारी का प्रसंग भी शायद हमारे इस आत्म-विश्वाश को बनाए रखने के लिए ही रखा होगा ताकि हम यह समझ पायें कि प्रेम सेवा द्वारा धाम धणी के प्रेरक जोश को प्राप्त कर लेने वाले को न कोरोना वायरस जैसी महामारी मार सकती है, न माया अहंकार रोग की महामारी मार सकती है |
शाहजहाँ पुर बुढिया में धाम धणी की सेवा में अडिग खड़े रहने वाले सुन्दर साथ नागजी भाई को प्लेग की बिमारी भी नहीं मार सकी थी |
अतः सुन्दर साथ जी अपनी विवेक बुध्धि का सदुपयोग करते हुए दोनों महामारियों से बच कर रहें यही अर्जी |
सदा आनंद मंगल में रहिये |
सप्रेम प्रणाम जी
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