महाराजा छत्रसाल बुंदेला - चरित्र देव


नरवीर केसरी महाराजा छत्रसाल बुंदेला के लिए कहा जाता है: 

ध्यानिन में ध्यानी, और ज्ञानिन में ज्ञानी अहों |

पंडित पुराणी प्रेम वाणी अर्थाने का ||

साहिब सों सच्चा, क्रूर कर्मनि में कच्चा छत्ता |

चम्पति का बच्चा शेर, शूरवीर बाने का ||

मित्रन को छत्ता दीह, शत्रून को कत्ता सदा |

ब्रह्म रस रत्ता, एक कायम ठिकाने का ||

नाहीं परवाही, न्यारा नौकिया सिपाही मैं तो |

नेह चाह चाही, एक श्यामा श्याम पाने का ||

 

नरवीर केसरी महाराजा छत्रसाल बुंदेलाश्रेष्ठतमध्यानीअद्वितीय ज्ञानीशास्त्र-मर्मज्ञपुराणों के पारंगतविद्वानप्रेमवाणी के मर्मज्ञपरमात्मा में अटल श्रद्धा रखनेवालेक्रूर कर्म से सदा विरतवीर चम्पराय के शूरवीरपुत्रमित्रों के रक्षकप्रबल शत्रुओं के संहारकसदैवब्रह्मानंद में अनुरक्तअनन्य भक्ति में आस्थावानयुद्ध मेंअवसर पर अडिग योद्धाऔर स्नेह-प्रेम द्वाराश्यामाश्याम को पाने की चाह रखने वाले आत्म-खोजी।

 

शूरवीर होते हुए भी उन्होंने कभी क्रूर कर्म नहीं कियादुश्मनों को हरायापर प्राणदंड नहीं दिया। अहंकार औरसत्ता के मोह से दूर रहकरप्रजा के प्रति न्यायपूर्ण रहे।उनकी वीरता छह रूपों में प्रकट होती है:

त्यागवीरजागीर समाज में बांटीअकस्मात मिला धनसत्कार्यों में लगाया।

दयावीरद्वेष रखने वालों के परिवारों को कृतज्ञ भाव सेजागीर प्रदान की।

दानवीरअपना सर्वस्व महामति श्री प्राणनाथ जी केचरणों में समर्पित किया।

विद्यावीरश्री तारतम ब्रह्मज्ञान को विद्वानों कोसमझाया।

पराक्रमवीरदांगी जैसे पहलवान और अब्दुल समदजैसे योद्धाओं को अपना बल दिखाया।

धर्मवीरधर्म  संस्कृति की रक्षा कीनिजानंद धर्म काप्रचार किया।

 

इन सब गुणों के कारण वे 'चरित्र देवके रूप में प्रसिद्धहैं। उनके जीवन की एक विशिष्ट घटना अप्रतिम सुंदरीपद्मा से जुड़ी हैजो इस उपन्यास का केंद्रीय विषय है।

 

महाराजा छत्रसाल ने प्रेम के सभी स्तरों को सहज रूप सेअपनाया। युद्ध और राजनीतिक कूटनीति के चलते, सुरक्षा हेतु जागीरदारों की बिनतियों का सम्मान करते हुए कई कन्याओं से विवाह किएलेकिन 26 वर्ष की उम्र मेंपद्मा जैसी अद्वितीय सुंदरी में मातृत्व दर्शन करके अपनेचरित्र को उच्चतम स्तर पर सिद्ध किया।

 

धामवासी अम्बिका प्रसाद दिव्य ने इस उपन्यास मेंमहाराज छत्रसाल को भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्योंका प्रतीक बताया है। अत्याचारी मुगल औरंगजेब केचरित्र को ऐतिहासिक प्रसंगों के माध्यम से उजागर करभविष्य की राह को प्रकाशित किया है। हर प्रसंग में कोई कोई सांस्कृतिकजीवनोपयोगी अथवा आध्यात्मिकसंदेश समाहित है।

 

महाराजा छत्रसाल द्वारा प्रचारित महामति श्री प्राणनाथ जी प्रदत्त श्री तारतम ब्रह्मज्ञान की चतुर्थ शताब्दी अभी अभी मनाई गईऔर उसी समय से 'छत्रसालवेब सीरीजका प्रसारण शुरू हुआजिसका लाभ करोड़ों लोगों नेउठाया। Chhatrasal.com वेबसाइट पर भी विस्तृतजानकारी उपलब्ध है। हालांकिअब भी देश-विदेश काबड़ा वर्ग महाराजा छत्रसाल और श्री प्राणनाथ जी केयोगदान से अपरिचित है। विशेष रूप से 'जूँठी पातर'उपन्यास में छिपे 'चरित्र देवके बारे में बहुत कम लोगजानते हैं।

 

धर्मनिष्ठ सुंदरसाथ श्री मनसुखभाई एवं अनिलाबेनभावसार की प्रेरणा एवं भारतीय जन समाज के लाभार्थइस पुनः प्रकाशन की स्वीकृति देने के लिए हम अम्बिकाप्रसाद दिव्य, परिवार का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैंसर्व मंगल की प्रार्थना करते हैं "सदा आनंद मंगल मेंरहिए।"

श्री प्राणनाथ वैश्विक चेतना अभियान, श्री निजानंद आश्रम, वड़ोदरा

निर्माता - श्री "प्राणनाथ जी" टीवीसीरियल एवं "छत्रसाल" वेब सीरीज;

निजा-आनंदी एनीमेशन सीरीज, महामति वेब सीरीज (प्रस्तावित)

 

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