RELIGIOUS BUT NOT SPIRITUAL?!

RELIGIOUS BUT NOT SPIRITUAL?!

In the context of performative religiosity, we can say that:

"Today's world, by almost any standard, is in some places VERY RELIGIOUS, it is almost NEVER VERY SPIRITUAL."


दिखावे की धार्मिकता के संदर्भ में, हम यह कह सकते हैं कि: "आज की दुनिया, लगभग हर मानदंड पर, कुछ जगहों पर बेहद धार्मिक तो है, लेकिन शायद ही कभी वास्तव में आध्यात्मिक होती है।"

"આજનું વિશ્વ, લગભગ દરેક માપદંડે, કેટલાક સ્થાનો પર ખુબ જ ધાર્મિક છે, પણ ક્યારેય સાચે આધ્યાત્મિક નથી હોતું."

"देखावटी धार्मिकताको सन्दर्भमा, हामी यसो भन्न सक्छौं: 'आजको संसार, लगभग सबै मापदण्डमा, केही स्थानहरूमा अत्यन्तै धार्मिक त छ, तर साँच्चिकै आध्यात्मिक चाहिँ शायद कहिल्यै हुँदैन।'"

In light of the above essence statement, review the following Chopais from Shri Prannath Tartam Vani in Shree Kuljam Swaroop.

ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण132चौपाई क्रमांक2
कोट करो बंदगी, बाहेर हो निरमल।
 तोलों ना पिउ पाइए, जोलों ना साधे दिल।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण132चौपाई क्रमांक4
जैसा बाहेर होत है, जो होए ऐसा दिल। 
तो अधखिन पिउ न्यारा नहीं, माहें रहे हिल मिल।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण14चौपाई क्रमांक3
चार बेर चौका देओ, लकड़ी जलाओ धोए जल। अपरस करो बाहेर अंग को, पर मन ना होए निरमल।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण26चौपाई क्रमांक3
सतगुर क्यों पाइए कुली में, भेखे बिगारयो वैराग। डिंभकाइए दुनियां ले डबोई, बाहेर सीतल मांहें आग।।
ग्रन्थकलश हिंदुस्तानीप्रकरण16चौपाई 18
विप्र भेख बाहेर दृष्टी, खट कर्म पाले वेद। 
स्याम खिन सुपने नहीं, जाने नहीं ब्रह्म भेद।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण10चौपाई क्रमांक7
बाहेर भेख देख भुलाने, तुम भीतर खोज न कींनी। भागवत वचन वल्लभी टीका, तुम याकी सुध न लींनी।।७।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण105चौपाई क्रमांक7
ए जो दोए दिल राखत हैं, ए तो दुनियां की रीत। 
मांहें मैले बाहेर उजले, ए जीव सृष्ट की प्रीत।l
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण105चौपाई क्रमांक14
बाहेर देखावें बंदगी, माहें करें कुकरम काम। 
महामत पूछे ब्रह्मसृष्ट को, ए बैकुंठ जासी के धाम।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण108चौपाई क्रमांक29
जो जाहेर परस्त हैं, चाहें मिट्टी पानी पत्थर। 
इनका एही किबला, जिनकी बाहेर पड़ी नजर।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण12चौपाई क्रमांक8
ए बानी तो अपरस करे आतम, तुम अपरस करो बाहेर अंग। आकार अपरस किए कहा होए, इने आतम सों कैसो सनमंध।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण126चौपाई क्रमांक42
श्रोता जाय सांभलवा ने चाल्या, जाणें आंधला नो संग। बाहेरनी फूटी कांने बेहेरा, रदे तणां जे अंध।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण126चौपाई क्रमांक74
बाहेर थकी गांठ एक छोडिए, तिहां बीजी बंधाय अपार। ए विसमा बंध नों नथी रे उपाय, बीजो आणें संसार।।
ग्रन्थकिरन्तनप्रकरण129चौपाई क्रमांक13
सत जोऊँ सन्तो तणो, अने साध तणी सिधाई। 
बाहेर चेन करे कई साधना, माहें ते भांड भवाई।।

Way Forward:

Let's make room for everything, grow rich in wholeness. Today, people have the most difficult time doing this. 

External religious practices must be based upon inner spirituality practices. True religiosity (Dharmikta) integrates spirituality with traditional religious practices.

Rituals and ways of worship and devotion produce the best fruits when integrated with spiritual knowledge (and intelligence) and spiritual experiences.

Sada Anand Mangal Mein Rahiye
May all always remain in bliss and auspicious state of total wellbeing.


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